एक बड़ी ही प्यारी मित्र ने कुछ ऐसा किया जो हमारे रिश्तों में कडुवाहट घोलने के लिए काफी था | ऐसे वक़्त में कुछ इन पंक्तियों से ख़ुद को समझाया.....
आँसू आ के रुक गया
आँख की कोरों पर
कैसे नाराज हो जाऊँ
मैं तुझ से गैरों की तरह
दुःख तो होता है
तेरी बेरुखी पर
कैसे खो दूँ मैं तुझे
भीड़ में लोगों की तरह
फूल भी अपनों के मारे हुए
लगते हैं शूलों की तरह
कैसे खो दूँ मैं तुझे
राह में भूलों की तरह
तेरी यादें मुझे यूँ भी
उम्र भर सतायेंगी
कैसे खो दूँ मैं तुझे
गुजरी हुई बातों की तरह
शारदा जी कल तो मेरी भी कुछ ऐसी ही स्थिती थी बहुत बडिया रचना है किसी अपने को खोने का दुख असह होता है कोशिश यही करनी चाहिये कि रिश्ते को किसी भी कीमत पर खोना ना पडे। बहुत सुन्दर कविता है आभार्
जवाब देंहटाएंतेरी यादें मुझे यूँ भी
जवाब देंहटाएंउम्र भर सतायेंगी
कैसे खो दूँ मैं तुझे
गुजरी हुई बातों की तरह
दिल की तराजू में तोल कर लिखे गये शब्दों के लिए बधाई!
मनोभाव को प्रस्तुत करती हुई सकारात्मक रचना मंत्रमुग्ध करती हुई .....आपका आभार .....
जवाब देंहटाएंवाकई में दोस्ती होती ही ऐसी है की किसी भी शर्त पर नही खोई जाती......
जवाब देंहटाएंbahut sunder....kisi ke khone ka ahsaas vakai dard bhara hota hai....
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