थोड़ी मिट्टी पौधों के साथ रहने दो
मुरझा जायेंगे ये ,जड़ों से उखड़ने के ख्याल से
मिट्टी -मिट्टी मत कर लेना ,
अपनी खुशबू फैलाने के धमाल से
कितनी ही तरह के फूल सजे
खुशबू न किसी की कम होती
गुलशन का लाड़ दुलार सदा
माँ का उपकार नहीं मिटता
न मिटता बचपन यादों से
आसमान से कैसे बांटेगा खुशियाँ
फूलों के दिल में रहना होगा
सबको मिट्टी में खिलने दो
जियो और जीने दो सबको
अपना जीना न बेहाल करो
दरख्तों से पूछो किस मजबूती से
जकड़े हैं ये मिट्टी को
पर क्या फूलों का जीना दुशवार हुआ ?
मिट्टी ,पानी संग हवा जरूरी है
चारों ओर जो छा जाती ,खुशबू की मजबूरी है
फुहारें बन सबकी खुशबू लो
मुरझा जायेंगे ये ,जड़ों से उखड़ने के ख्याल से
मिट्टी -मिट्टी मत कर लेना ,
अपनी खुशबू फैलाने के धमाल से
कितनी ही तरह के फूल सजे
खुशबू न किसी की कम होती
गुलशन का लाड़ दुलार सदा
माँ का उपकार नहीं मिटता
न मिटता बचपन यादों से
आसमान से कैसे बांटेगा खुशियाँ
फूलों के दिल में रहना होगा
सबको मिट्टी में खिलने दो
जियो और जीने दो सबको
अपना जीना न बेहाल करो
दरख्तों से पूछो किस मजबूती से
जकड़े हैं ये मिट्टी को
पर क्या फूलों का जीना दुशवार हुआ ?
मिट्टी ,पानी संग हवा जरूरी है
चारों ओर जो छा जाती ,खुशबू की मजबूरी है
फुहारें बन सबकी खुशबू लो
जियो और जीने दो ...वाह बहुत सच्ची और अच्छी रचना...बधाई.
जवाब देंहटाएंनीरज