तुमने गाई एक धुन
कितनों के मन ने गायातुमने बढाया एक कदम
कितनों के संग चल पाए
तुमने पकड़ी एक उंगली
कितनों ने बाहें थमाईं
नूर है उसका उंगली पकड़े
चलने का सरमाया
तुमने खिलाई ये बगिया
फूलों को महकाया
तुम जो खड़े हो बाहें पसारे
कितनों को गले लगाया
आँखें मूंदू , सपना है क्या
सुख सागर लहराया
तुमने गाई एक धुन
कितनों के मन ने गाया
शारदा जी, हिन्दी ब्लागजगत में आपका स्वागत है. कविता के भाव उत्तम हैं.
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