एक
हर लम्हा रात का आखिरी लम्हा होगा
सूरज दस्तक देगा मेरे दरवाजे परपहली किरण दस्तक देगी मेरे दरवाजे पर
मैनें अपनी ड्योढी पूरब की ओर बना रक्खी है
सारी किरणें अपनी चुनरी में भर लूंगी
बेशक मेरी चुनरी तार तार हो
चुनरी फ़िर चुनरी है
बूढी हो चली आंखों में सितारे भर लूंगी
हर लम्हा रात का आखिरी लम्हा होगा
दो
क्या हुआ ,जो इम्तिहान अभी और भी हैं
क्या हुआ ,जो राहें हैं पथरीलीसब्रो -पैमाना अभी नहीं छलका
कड़वे घूंटों को हलक से उतारना अभी नहीं खटका
तेरी राहों के मंजर देखने की हसरत अभी बाकी है
तेरी किताब के वरकों में ,कुछ नया देखने की ललक
अभी बाकी है
bahut prabhavshali abhivyakti hai aapki-
जवाब देंहटाएंसारी किरणें अपनी चुनरी में भर लूंगी
बेशक मेरी चुनरी तार तार हो
चुनरी फ़िर चुनरी है
बूढी हो चली आंखों में सितारे भर लूंगी
http://www.ashokvichar.blogspot.com
बूढी हो चली आंखों में सितारे भर लूंगी
जवाब देंहटाएंहर लम्हा रात का आखिरी लम्हा होगा
--बहुत सुन्दर रचनाऐं.
आपकी दूसरी कविता बहुत अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंवीनस केसरी