बहुत बातें करते हो
आँख खोलती हूँ जब मैं
पास बैठे हो देखती हूँ
वही अक्स ढूँढती हूँ
पूछती हूँ जब मैं कि
' क्या हुआ '
' क्यों ' तुम्हारा जवाब है
या कि सवाल ?
सवालों सवालों में उलझे हैं हम
वही है सूरत , वही है सीरत
जब तक मैं ढूँढू
तुझमें वो मूरत
ये दुनिया ख़ूबसूरत है
ये दुनिया ख़ूबसूरत है
wah wah
जवाब देंहटाएंसच ये जो "क्यों" होता है, वह सवाल की तरह आता है या जवाब की तरह पता ही नहीं चलता। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंस्वरोदय विज्ञान – 10 आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
बहुत सूंदर रचना धन्यवाद
जवाब देंहटाएंये दुनिया ख़ूबसूरत है
जवाब देंहटाएंवाकई दुनिया खूबसूरत है
सवालों सवालों में उलझे हैं हम
जवाब देंहटाएंवही है सूरत , वही है सीरत
जब तक मैं ढूँढू
तुझमें वो मूरत
ये दुनिया ख़ूबसूरत है
ये दुनिया ख़ूबसूरत है...
बहुत उम्दा.
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंसाहित्यकार-बाबा नागार्जुन, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें