जीवन हाथ से छूटता जाये
बचपन बीता , यादें सुनहरी
छाप दिलों पर छोड़ता जाये
कैसे पकड़ें , यौवन अपना
धोखे का रँग छूटता जाये
साँझ का झुटपुटा , खोल पुलिन्दा
दुखड़ा अपना खोलता जाये
जीवन अपना , अनमोल मोती
कर्मों की गाथा बोलता जाये
सूरज उगता है बस तेरे लिए ....... मौके , हिम्मत और उम्मीद लिए ...... ये सौगात है बस तेरे लिए .....
साँझ का झुटपुटा , खोल पुलिन्दा
जवाब देंहटाएंदुखड़ा अपना खोलता जाये
अच्छी प्रस्तुति
सुंदर लिखा है. और सच.
जवाब देंहटाएंकैसे पकड़ें , यौवन अपना
जवाब देंहटाएंधोखे का रँग छूटता जाये
धोखे का रंग आखिर कब तक काम आयेगा.
सुन्दर प्रस्तुति
कैसे पकड़ें , यौवन अपना
जवाब देंहटाएंधोखे का रँग छूटता जाये...
बहुत ही सुंदर.... यह पंक्तियाँ तो दिल को छू गयीं....
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंकोटि-कोटि नमन बापू, ‘मनोज’ पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
आदरणीया शारदा अरोरा जी
जवाब देंहटाएंअच्छा काव्य प्रयास है , बधाई !
धोखे का रंग छूटता जाए
धोखे का रंग छूटना बड़ी उपलब्धि है …
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
वक्त का पहिया घूमता जाये
जवाब देंहटाएंजीवन हाथ से छूटता जाये
बहुत खुब जी, वक्त का पहिया युही घुमता रहता है,
बचपन बीता , यादें सुनहरी
जवाब देंहटाएंछाप दिलों पर छोड़ता जाये...
और...
जीवन अपना, अनमोल मोती
कर्मों की गाथा बोलता जाये...
बहुत अच्छी रचना की बेहतरीन पंक्तियां.
Wah! ek behatreen prastuti.
जवाब देंहटाएंpoonam