जितनी नश्वर है ये , उतनी ही कीमती है
चीजों की मिआद होती है , जिन्दगी की मिआद भी नहीं होती
जिन्दगी की उम्र होती है , और नहीं भी होती
जितना पकड़ते हो , हाथों से छूटी जाती है
छूट जाती है , टूट जाती है , रूठ जाती है
मन के अहसास कहीं मिटते हैं
ये दिन रात साथ चलते हैं
रुका पानी गन्दला हो जाता है
वक़्त के साथ-साथ बहना होगा
जिन्दगी छूटे , टूटे या रूठे , तुझको चलना होगा
आलों में सजी क्रॉकरी , सिर्फ़ आँख सेंकने के काम आती है
रँगों भरे प्याले हैं हम , जिनसे दुनिया का कारोबार चले
मरने के बाद जिन्दा रहें , कीमत तो कर , बेशकीमती बना
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जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब, शारदा जी, बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव हैं। सुन्दर रचना है।बधाइ।
जवाब देंहटाएंजिन्दगी छूटे , टूटे या रूठे , तुझको चलना होगा
जवाब देंहटाएंआलों में सजी क्रॉकरी , सिर्फ़ आँख सेंकने के काम आती है
रँगों भरे प्याले हैं हम , जिनसे दुनिया का कारोबार चले
मरने के बाद जिन्दा रहें , कीमत तो कर , बेशकीमती बना
हर पंक्ति अपने में स्वयं एक कविता है ...बहुत सुंदर.