मंगलवार, 3 फ़रवरी 2009

प्यार तो कर

प्यार तो कर

पर थोड़ा-थोड़ा किनारा कर

कि जब वो किनारा करे

तो रोना पड़े , खन्भों से लिपट-लिपट कर

उसकी उन्नति के लिये जरूरी है

उतनी ही दवा दे , जितनी चलने के लिये जरूरी है

कैसी सुंदर ये दुनिया बनाई है

सुन्दर सुन्दर चेहरे

कैसी सुन्दर ये गढ़ाई है

लौटें घरौंदों को , आँखें तो बिछा

पर थोड़ा-थोड़ा किनारा कर

जब सहना पड़े उसे तेरा वियोग

तो वो रोये , खन्भों से लिपट-लिपट कर

3 टिप्‍पणियां:

  1. sharda ji sadar namaskar,

    pyar to kar, aapki kavita acchi lagi.

    ise ratlam-jhabua(mp),Dahod(gujarat) se praksahit dainik prasaran me publish karane ja raha hoon.

    kripaya apana postal address send kare taki aapko PRASARAN ki prati bheji ja saken.

    mail me postal address:
    pan_vya@yahoo.co.in
    vyas_pan@yahoo.co.in

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  2. Bahut sahi kaha..

    पर थोड़ा-थोड़ा किनारा कर....

    sundar bhaav aur abhivyakti.badhai.

    जवाब देंहटाएं

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