प्यार तो कर
पर थोड़ा-थोड़ा किनारा कर
कि जब वो किनारा करे
तो न रोना पड़े , खन्भों से लिपट-लिपट कर
उसकी उन्नति के लिये जरूरी है
उतनी ही दवा दे , जितनी चलने के लिये जरूरी है
कैसी सुंदर ये दुनिया बनाई है
सुन्दर सुन्दर चेहरे
कैसी सुन्दर ये गढ़ाई है
लौटें घरौंदों को , आँखें तो बिछा
पर थोड़ा-थोड़ा किनारा कर
जब सहना पड़े उसे तेरा वियोग
तो न वो रोये , खन्भों से लिपट-लिपट कर
sharda ji sadar namaskar,
जवाब देंहटाएंpyar to kar, aapki kavita acchi lagi.
ise ratlam-jhabua(mp),Dahod(gujarat) se praksahit dainik prasaran me publish karane ja raha hoon.
kripaya apana postal address send kare taki aapko PRASARAN ki prati bheji ja saken.
mail me postal address:
pan_vya@yahoo.co.in
vyas_pan@yahoo.co.in
Bahut sahi kaha..
जवाब देंहटाएंपर थोड़ा-थोड़ा किनारा कर....
sundar bhaav aur abhivyakti.badhai.
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएं