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बर्फ के कतरे से यूँ पड़ने लगे हैं
डाल से हरसिंगार की ,फूल ज्यों झरने लगे हैं
बरसते हैं उपहार ऐसे भी
मौन कितना है मुखर , मन भीगने लगे हैं
बादल ने बरसाया प्यार कतरा-कतरा
धरती अम्बर कुछ यूँ मिलने लगे हैं
कर लिया है श्रृंगार प्रकृति ने
ऋतुओं के घर मेले लगे है
पेड़-पर्वत , घरों की ढलवाँ छतें
ओढ़ चादर चाँदनी की ,दमकने लगे हैं
किसी और ही दुनिया में आ गये हैं
उजाले से चारों तरफ पड़ने लगे हैं
खबर लग गई है सैलानिओं को
कुदरत के हसीन नज़ारे भाने लगे हैं
बर्फ के कतरे से यूँ पड़ने लगे हैं
डाल से हरसिंगार की ,फूल ज्यों झरने लगे हैं
बरसते हैं उपहार ऐसे भी
मौन कितना है मुखर , मन भीगने लगे हैं
बादल ने बरसाया प्यार कतरा-कतरा
धरती अम्बर कुछ यूँ मिलने लगे हैं
कर लिया है श्रृंगार प्रकृति ने
ऋतुओं के घर मेले लगे है
पेड़-पर्वत , घरों की ढलवाँ छतें
ओढ़ चादर चाँदनी की ,दमकने लगे हैं
किसी और ही दुनिया में आ गये हैं
उजाले से चारों तरफ पड़ने लगे हैं
खबर लग गई है सैलानिओं को
कुदरत के हसीन नज़ारे भाने लगे हैं
बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति कैग [विनोद राय ] व् मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन ]की समझ व् संवैधानिक स्थिति का कोई मुकाबला नहीं .
जवाब देंहटाएंअद्भुत अभिव्यक्ति है| इतनी खूबसूरत रचना की लिए धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद ...
जवाब देंहटाएंsnowfall ki sundarta ko aapki kavita ne badha diya hai..
जवाब देंहटाएंapne ghar se yeh sundar view dekh kar man kara raha hai ki vahan aa jao....yeh pic kya isi baar ki hai?maine samjha tha last year ki hai..
जवाब देंहटाएंहाँ ..स्वाति ,ये फोटो सत्रह तारीख की है ...पिछले साल की पोएम और फोटो दूसरीं थीं ...
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी यह रचना ...
जवाब देंहटाएंआपका आभार !
सुंदर चित्रण!
जवाब देंहटाएंबर्फ के क़तरे और हरसिंगार... दोनों ही कितने खूबसूरत, कोमल-कोमल...! :-)
आभार!
~सादर!!!