विरह पतझड़ सा पीला क्यों
यादों का तना गठीला क्यों
नश्तर सा समय नुकीला क्यों
कोई पूछ के आए तो उससे
वो इतनी दूर रँगीला क्यों
सपनों का पुलिन्दा चटकीला क्यों
भरमों का रँग भड़कीला क्यों
दिल में जो छुप कर बैठा है
पूछो पूछो , वो सजीला क्यों
आशा की उँगली पकड़ता है
रातों का ठिकाना ढीला क्यों
"विरह पतझड़ सा पीला क्यों
जवाब देंहटाएंयादों का तना गठीला क्यों
नश्तर सा समय नुकीला क्यों"
सुंदर शब्दों से सजी समसामयिक रचना
बहुत ही बेहतरीन , दिल को गयी आपकी रचना , बधाई ।
जवाब देंहटाएंReally Nice. Heart Touching
जवाब देंहटाएंsentimental.....
जवाब देंहटाएंमोहतरमा शारदा जी, आदाब
जवाब देंहटाएंरँग आसमान का नीला क्यों....विरह पतझड़ सा पीला क्यों
यादों का तना गठीला क्यों......नश्तर सा समय नुकीला क्यों
.......दिल में जो छुप कर बैठा है.....पूछो पूछो , वो सजीला क्यों
आपकी रचनाओं में शब्दों की गहराई हमेशा देखने को मिली है...जो दिल को छू जाती है
रँग आसमान का नीला क्यों
जवाब देंहटाएंविरह पतझड़ सा पीला क्यों
यादों का तना गठीला क्यों
नश्तर सा समय नुकीला क्यों ...
कुछ हमेशा से ही अनसुलझे सवाल .... सदियों से अपना उत्तर खोजते हुवे ... बहुत गहरा लिखा है आपने ... लजवाब ..
बेहतरीन रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ओर भाव पुर्ण कविता
जवाब देंहटाएंधन्यवाद