जल थल है मेरे क़दमों में
और पँखों में सिमटा नभ है
नन्हीं नन्हीं मेरी उड़ानें
दिखता सारा जग है
मिल जुल कर सब साथी उड़ते
कोई बन्धन कहीं नहीं है
मैं उड़ता सागर की लहरों के ऊपर
आसमान की बाहों में
हर बार पलट आता हूँ
धरती के उसी घरौंदे में
जो जोड़े मुझको धरती से
मेरी अपनी खुशबू
मेरे अपनों का अपनापन
मेरी यादों का पुलिन्दा
है मेरी उड़ानों का परिन्दा
मेरी यादों का पुलिन्दा
जवाब देंहटाएंहै मेरी उड़ानों का परिन्दा
सुन्दर है ये परिन्दा और पुलिन्दा
bahut hi sundar bhav.
जवाब देंहटाएंjabab nahi aapke vicharo ka.!
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