हर नजर है तूफ़ान समेटे हुए
हर दिल है आसमान लपेटे हुए
चलते हैं सब मगर
पहुँचता कोई कहीं नहीं
विष्वास है खोया हुआ
रिश्तों में अब नमी नहीं
नजर तो उठती हर तरफ़
भीड़ में चेहरों की कमी नहीं
हाथ तो बढ़ाते हैं
विष्वास साथ लाते नहीं
हर नजर है तूफ़ान समेटे हुए
हर दिल है आसमान लपेटे हुए
हाथ तो बढ़ाते हैं
जवाब देंहटाएंविष्वास साथ लाते नहीं
सही है बिना विश्वास के बढे हुए हाथ भी सहारा नही दे पायेंगे.
बहुत सुन्दर
खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंरिश्तों में अब नमी नहीं
जवाब देंहटाएंयह बात बिलकुल सही कही आपने बढ़िया लिखा है
सही और बढ़िया लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण भावुक रचना....मन को छू गयी इसकी सच्चाई .....
जवाब देंहटाएंsundar rachna.
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