रविवार, 12 मई 2013

माँ वो हस्ती है

माँ वो हस्ती है जिसे ,यादों से मिटाना नामुमकिन 
जमीं पर चलाती है जो उँगली पकड़ , 
आसमाँ ओढ़ाती है दुआओं का जो ज़िन्दगी भर 

अहसास की खुशबू है 
अनमोल सा रिश्ता है 
आराम की छाया है 
हर नींव में मुस्कराती है वो 

दामन काँटों से भरा 
फूलों सा सहलाती हर दम 
हस्ती गँवा कर भी 
हर सू नजर आती है वो 

4 टिप्‍पणियां:

  1. जन्‍मदात्री है वो मात्र इंसान नहीं है
    व्‍यक्तित्‍व बनाती है, केवल पहचान नहीं है,बहुत ही सुन्दर रचना.

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  2. माँ की हस्ती के करीब कोई नहीं है इस दुनिया में ..
    नमन है माँ को ...

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  3. बहुत ही सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .

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