माँ वो हस्ती है जिसे ,यादों से मिटाना नामुमकिन
जमीं पर चलाती है जो उँगली पकड़ ,
आसमाँ ओढ़ाती है दुआओं का जो ज़िन्दगी भर
अहसास की खुशबू है
अनमोल सा रिश्ता है
आराम की छाया है
हर नींव में मुस्कराती है वो
दामन काँटों से भरा
फूलों सा सहलाती हर दम
हस्ती गँवा कर भी
हर सू नजर आती है वो
जमीं पर चलाती है जो उँगली पकड़ ,
आसमाँ ओढ़ाती है दुआओं का जो ज़िन्दगी भर
अहसास की खुशबू है
अनमोल सा रिश्ता है
आराम की छाया है
हर नींव में मुस्कराती है वो
दामन काँटों से भरा
फूलों सा सहलाती हर दम
हस्ती गँवा कर भी
हर सू नजर आती है वो
जन्मदात्री है वो मात्र इंसान नहीं है
जवाब देंहटाएंव्यक्तित्व बनाती है, केवल पहचान नहीं है,बहुत ही सुन्दर रचना.
माँ की हस्ती के करीब कोई नहीं है इस दुनिया में ..
जवाब देंहटाएंनमन है माँ को ...
बहुत ही सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंकाशः,ये हस्ती कायम रह सके.