महिला-दिवस पर ...
नारी होना अभिशाप नहीं
धरती बनना , ये सबके बस की बात नहीं
माँ बेटी बहन बहु से रिश्तों से अलंकृत
सजता उपवन , खुशबू बनना क्या खास नहीं
सँग-सँग चलती , कभी पीछे-पीछे
कभी प्रेरणा बन आगे-आगे , क्या तेरे मन की बात नहीं
नाजुक है फूलों से भी बेशक
काँटें भी रख लेती सीने में , क्या आदर्शों को मात नहीं
कभी आड़ बने , कभी छत बन कर
तेरे हिस्से की धूप सहे , है क्या वो तेरा अपना आप नहीं
श्रद्धा है वो , विष्वास है वो
जीवन के मन-भावन रँगों में , है क्या उसका मुखड़ा साथ नहीं
गौरव भी है , वैभव भी है
कन्धे से कन्धा मिला चलती , क्या सौभाग्य हमारे साथ नहीं
नारी होना अभिशाप नहीं
धरती बनना , ये सबके बस की बात नहीं
माँ बेटी बहन बहु से रिश्तों से अलंकृत
सजता उपवन , खुशबू बनना क्या खास नहीं
सँग-सँग चलती , कभी पीछे-पीछे
कभी प्रेरणा बन आगे-आगे , क्या तेरे मन की बात नहीं
नाजुक है फूलों से भी बेशक
काँटें भी रख लेती सीने में , क्या आदर्शों को मात नहीं
कभी आड़ बने , कभी छत बन कर
तेरे हिस्से की धूप सहे , है क्या वो तेरा अपना आप नहीं
श्रद्धा है वो , विष्वास है वो
जीवन के मन-भावन रँगों में , है क्या उसका मुखड़ा साथ नहीं
गौरव भी है , वैभव भी है
कन्धे से कन्धा मिला चलती , क्या सौभाग्य हमारे साथ नहीं
anupam bhav sanyojan se shushobhit saarthak abhivyakti ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सुन्दर लाजबाब अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ ! सादर
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
कृपया मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करे
अगर सभी मानें कि नारी श्रद्धा है .प्रेरणा है खुशबु है,मान है तो सौभाग्य क्यूँ न सदा साथ रहेगा .
जवाब देंहटाएंसामायिक और बहुत ही सुन्दर भाव लिए सकारात्मकता का प्रसार करती कविता है.