वक्त मरहम है तो सताता क्यूँ है
भूली बिसरी यादों की याद दिलाता क्यूँ है
वक्त गुज़रा अच्छा भी बुरा भी
फिर ये सानिहा सा रातों को जगाता क्यूँ है
साजे-ग़ज़ल है ग़र जीवन तो
बेसुरी तान सुना दिन रात रुलाता क्यूँ है
इन्सां मिट्टी का खिलौना है तो रोता क्यूँ है
दिन ढले रोज सुबह के ख्वाब सँजोता क्यूँ है
शबे-ग़म गर हवा है तो ठहर जाता क्यूँ है
किसी सीने में कहर ढाता क्यूँ है
हजार बातें हैं कहने को , सुनेगा कौन
जिगर में शोर लिए हर बार , मुस्कराता क्यूँ है
भूली बिसरी यादों की याद दिलाता क्यूँ है
वक्त गुज़रा अच्छा भी बुरा भी
फिर ये सानिहा सा रातों को जगाता क्यूँ है
साजे-ग़ज़ल है ग़र जीवन तो
बेसुरी तान सुना दिन रात रुलाता क्यूँ है
इन्सां मिट्टी का खिलौना है तो रोता क्यूँ है
दिन ढले रोज सुबह के ख्वाब सँजोता क्यूँ है
शबे-ग़म गर हवा है तो ठहर जाता क्यूँ है
किसी सीने में कहर ढाता क्यूँ है
हजार बातें हैं कहने को , सुनेगा कौन
जिगर में शोर लिए हर बार , मुस्कराता क्यूँ है
वक्त मरहम है तो सताता क्यूँ है
जवाब देंहटाएंभूली बिसरी यादों की याद दिलाता क्यूँ है
....बहुत खूब...बहुत ख़ूबसूरत रचना..
वक्त मरहम है तो सताता क्यूँ है
जवाब देंहटाएंभूली बिसरी यादों की याद दिलाता क्यूँ है
वक्त गुज़रा अच्छा भी बुरा भी
फिर ये सानिहा सा रातों को जगाता क्यूँ है
Kaash! Waqt in sawalon ka jawab de sake!