मैंने वो अजनबीयत तुम्हारी आँखों मे
बहुत पहले ही देख ली थी
कोई रोके खड़ा है
कोई रो के खड़ा है
महज़ शब्दों का हेर फेर नहीं ये
सैलाब की रवानी है ये
हालात ने काबू किया मुझ पर
उस किनारे थे तुम
वक्त की बेरहम हँसी देखी मैंने
वक्त रुकता नहीं कभी किसी के लिए
तेरी आँखों की वो बेरुखी , मेरे दिल में
खिजाँ बन कर ठहर गई शायद
बहुत चाहा कि समझ लूँ इसे आँखों का भरम
तेरे चेहरे पर मगर , वो पहचान नहीं उभरी
मजबूरियाँ तन्हाईयों की शक्ल में हमें जीने नहीं देतीं
यादें कसैली सी हो आई हैं
अब कोई नहीं झाँकता उन आँखों के दरीचों से
जहाँ कोई मेरा हमनवाँ भी हो सकता था
बहुत पहले ही देख ली थी
कोई रोके खड़ा है
कोई रो के खड़ा है
महज़ शब्दों का हेर फेर नहीं ये
सैलाब की रवानी है ये
हालात ने काबू किया मुझ पर
उस किनारे थे तुम
वक्त की बेरहम हँसी देखी मैंने
वक्त रुकता नहीं कभी किसी के लिए
तेरी आँखों की वो बेरुखी , मेरे दिल में
खिजाँ बन कर ठहर गई शायद
बहुत चाहा कि समझ लूँ इसे आँखों का भरम
तेरे चेहरे पर मगर , वो पहचान नहीं उभरी
मजबूरियाँ तन्हाईयों की शक्ल में हमें जीने नहीं देतीं
यादें कसैली सी हो आई हैं
अब कोई नहीं झाँकता उन आँखों के दरीचों से
जहाँ कोई मेरा हमनवाँ भी हो सकता था
बेहतरीन भाव उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंvery good n best wishes for you and your family a Happy Diwali
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