ऐ सूरज , ऐ चन्दा बता
वो दिन कैसा होता है
अरमान की बिंदिया माथे सजा
जब रोज सुबह कोई गाता है
चमकीला होता है अम्बर क्या
मेरी उम्मीदों से ज्यादा
वो लाली , वो गुन्जन
वो फूँक भला कौन भरता है
खिल उठते हैं फूल सभी
चिड़ियाँ भी गातीं मस्ती में
निशा के सँग सो जाते
वो समझ भला कौन भरता है
वो महक भला आती कैसे
बेचैनी सी हो रूहों में
सतरंगी किरणों के द्वारे
कौन रँग प्याली में भरता है
पलकें बिछती हैं राहों पर
सिर झुकता है सजदे में
उतरा न उतरा वही लम्हा
जो मन के फलक को भरता है
वो दिन कैसा होता है
अरमान की बिंदिया माथे सजा
जब रोज सुबह कोई गाता है
चमकीला होता है अम्बर क्या
मेरी उम्मीदों से ज्यादा
वो लाली , वो गुन्जन
वो फूँक भला कौन भरता है
खिल उठते हैं फूल सभी
चिड़ियाँ भी गातीं मस्ती में
निशा के सँग सो जाते
वो समझ भला कौन भरता है
वो महक भला आती कैसे
बेचैनी सी हो रूहों में
सतरंगी किरणों के द्वारे
कौन रँग प्याली में भरता है
पलकें बिछती हैं राहों पर
सिर झुकता है सजदे में
उतरा न उतरा वही लम्हा
जो मन के फलक को भरता है
वाह अति उत्तम भावो का सुन्दर समन्वय्।
जवाब देंहटाएंआज 19- 09 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
अति उत्तम अभिवक्ती ,बचपन में भी अकसर कुछ ऐसे सवाल उठा करते थे मन में जिनका जवाब अब तक न मिल सका आपने उन्हे प्रश्नो को बहुत खूबसूरती से कविता के माध्याम से कागज़ पर उतारा है...
जवाब देंहटाएंसमय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/
वाह ....बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंशब्द-चयन अति सुंदर
जवाब देंहटाएंउमीदोएँ की चमक ज्यादा प्रखर होती है ... सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंपलकें बिछती हैं राहों पर
जवाब देंहटाएंसिर झुकता है सजदे में
उतरा न उतरा वही लम्हा
जो मन के फलक को भरता है
Nihayat sundar rachana!
चमकीला होता है अम्बर क्या
जवाब देंहटाएंमेरी उम्मीदों से ज्यादा
वो लाली , वो गुन्जन
वो फूँक भला कौन भरता है
वाह! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है आपकी.
मन्त्र मुग्ध कर दिया है.
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा, शारदा जी.
आपका हार्दिक स्वागत है.