जीवन रेत और चीनी का मिश्रण
बड़ी सफाई से बीनना होगा
रेत के कण फिर भी साथ साथ लिपट आयेंगे
प्रेम के पानी से जुदा करना होगा
काम की बात उठा
भ्रमों में न पड़ना होगा
जिन्दगी खेल नहीं है फिर भी
खेल सा मजा लेना होगा
वक्त के साथ बहते हुए
वक्त से पार पाना होगा
जितना कुछ है मिला
उसे हर हाल सजाना होगा
अनुपयोगी बातेँ हैं रेत सी
बाधाओं को न बुलाना होगा
तरल बन कर रगों में घुलती
जिन्दगी सी मिठास को पाना होगा
बड़ी सफाई से बीनना होगा
रेत के कण फिर भी साथ साथ लिपट आयेंगे
प्रेम के पानी से जुदा करना होगा
काम की बात उठा
भ्रमों में न पड़ना होगा
जिन्दगी खेल नहीं है फिर भी
खेल सा मजा लेना होगा
वक्त के साथ बहते हुए
वक्त से पार पाना होगा
जितना कुछ है मिला
उसे हर हाल सजाना होगा
अनुपयोगी बातेँ हैं रेत सी
बाधाओं को न बुलाना होगा
तरल बन कर रगों में घुलती
जिन्दगी सी मिठास को पाना होगा
बहुत खूबसूरती से लिखा है रेत और चीनी के मिश्रण को ...अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवक्त के साथ बहते हुए
जवाब देंहटाएंवक्त से पार पाना होगा
जितना कुछ है मिला
उसे हर हाल सजाना होगा
एक सार्थक सन्देश देती सुन्दर प्रस्तुति..
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंअनुपयोगी बातेँ हैं रेत सी
जवाब देंहटाएंबाधाओं को न बुलाना होगा
तरल बन कर रगों में घुलती
जिन्दगी सी मिठास को पाना होगा
...सार्थक सन्देश देती सुन्दर प्रस्तुति..
आपकी सभी पोस्ट खुबसूरत लगी
जवाब देंहटाएंजिंदगी पर बहुत अच्छी नज़्म लिखी आपने.
जवाब देंहटाएंऔर बहुत ही philosophical touch भी है .
आपको बहुत बधाई
आभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html