कितने किनारे टूट गये
एक टाँग पर खड़े रहे हम
देखो हमको चलना आता है
धरती अम्बर रूठ गये
और सहारे छूट गये
रात सा साथी पाया हमने
और युगों सा बीत गये
झिलमिल तारों को देखा है
अपने सितारों को देखा है
बीज तो फूलों के बोते सभी
उगता वही जो किस्मत में बदा है
गढ़ देते हम कितने नगमें
शान में तेरी ऐ मौला
उम्मीद का दामन पकड़े हुए
रात और दिन से छूट गये
ख़ामोशी को पढ़ना आता है
जवाब देंहटाएंकितने किनारे टूट गये
एक टाँग पर खड़े रहे हम
देखो हमको चलना आता है
Aagaaz itna shaandaar to baaqee rachana ke kya kahne! Baar,baar padhee! Rashk hota hai! Kaash! Aisa mai bhee likh patee!
क्षमा जी , आपको इतना पसंद आई , बहुत शुक्रिया , बस कभी खुद से अलग होकर ज़िन्दगी को पढ़ लेते हैं ।
जवाब देंहटाएंख़ामोशी को पढ़ना आता है
जवाब देंहटाएंकितने किनारे टूट गये
एक टाँग पर खड़े रहे हम
देखो हमको चलना आता है
...बहुत भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी रचना..बहुत बढ़िया
सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 03- 05 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत सुंदर ओर मर्मस्पर्शी रचना धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...बधाई इस सुंदर रचना के लिए ! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत एवं गहन रचना ! बधाई स्वीकार करें !
जवाब देंहटाएंख़ामोशी को पढ़ना आता है
जवाब देंहटाएंकितने किनारे टूट गये
एक टाँग पर खड़े रहे हम
देखो हमको चलना आता है
...वाह!
अहसासों को खूबसूरती से संजोया है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावों की अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंझिलमिल तारों को देखा है
जवाब देंहटाएंअपने सितारों को देखा है
बीज तो फूलों के बोते सभी
उगता वही जो किस्मत में बदा है
....बहुत बढ़िया भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी रचना.....
khoobsurat abhivyakti.
जवाब देंहटाएंबीज तो फूलों के बोते सभी
जवाब देंहटाएंउगता वही जो किस्मत में बदा है
बहुत खूबसूरत एवं गहन रचना, बधाई.....