ये कविता अमरउजाला के बच्चों वाले कॉलम के लिए लिखी थी , पर याद तो अपने ही बेटे को कर रही थी। प्रस्तुत है .....
तू फूल है मेरे बाग़ का
सुन्दर सा ज्यों मुखड़ा कोई गुलाब का
पढ़ लिख के बन जाना
तू कोई नवाब सा
बन जाना तू प्रेम और
भाईचारे की मिसाल सा
मुश्किलों से न घबराना
सिपाही है तू जाँबाज सा
रास्ता तेरा महफूज हो
ममता की ठण्डी छाँव सा
तू मुस्कराता है , घर
खिल जाता है किसी बाग़ सा
महकाना तू दुनिया को
स्वर्ग सा , इक ख्वाब सा
बहारों को न्योता दे दिया
गुलशन को है इन्तजार सा
तू फूल है मेरे बाग़ का
सुन्दर सा ज्यों मुखड़ा कोई गुलाब का
बहुत सुन्दर बाल रचना है बधाई
जवाब देंहटाएंvery sweet and touching....
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत ख्यालों से सजी बालकविता मन को भा गई, बेटे के जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनायें, वह जिस क्षेत्र में भी रहे जांबाज रहे ।
जवाब देंहटाएंबेटे के जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
बेटे के जन्म दिन की बहुत बधाई और इस रचना की भी बधाई.
जवाब देंहटाएंशारदा जी बेटे को उस के बीसवे जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई, आप को भी बधाई, सच कहूं तो कितनी खुशी होती है जब बेटा हम से भी बडा हो जाता है, ओर कविता भी बहुत सुंदर लगी, बेटा खुब तरक्की करे मां बाप के सपने पुरे करे, ओर बहुत लम्बी उम्र हो.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
bhavnapoorna rachna ke liye hardik badhai sweekariye.
जवाब देंहटाएंyuvraj ko hamaqri shubhkamnayen deejiyega.
bachpan ki yahi tasveere to yaadgar ban jati hai,
mere blog par padharne ke liye hardik dhanyavaad ,abhar,
sadar ,
dr.bhoopendra jeevansandarbh.blogspot.com
Wah......bahut sunder,
जवाब देंहटाएंlaga meri maan mereliye padrahi ho..badhai ho chachi jee.
waise mai bhi chartered accountant ka student hun...