श्री श्री रविशंकर जी कहते हैं
सूरज उगता है तो प्रार्थना
पक्षी गाते हैं तो प्रार्थना
फूल खिलते हैं तो प्रार्थना
गीत रचते हैं तो प्रार्थना
मन गुनगुनाता है तो प्रार्थना
मुस्कराते हैं हम तो प्रार्थना
प्रेम का सागर हिलोरें लेता है तो प्रार्थना
मन-मयूर नाचता है तो प्रार्थना
झूम के अम्बर गाता है तो प्रार्थना
मोल कर ले प्राणों का ,तू मधुर आत्मा
फूलों सा खिल ले ,खुशबू है तेरी अर्चना
प्रार्थना , प्रार्थना , प्रार्थना
वाह
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