हाथों से फिसलती हुई दुनिया थी
और क़दमों में दम था ही नहीं
अपने ही जिगर के टुकड़ों को ,
जब देखते हैं हम मुश्किल में
तारे टूटें , धरती धँसती , आँखों में समँदर ठहरा सा
और कहर की रात है क्या
उठती-गिरती साँसें थीं
और ज़िन्दगी रुठी थी
एक न्यामत होती है ज़िन्दगी
टँग जाएँ हम उल्टे भी
इस दुनिया की खातिर ही , तो भी गम ही नहीं
जिसके सहारे निश्चिन्त थे हम
वो ही धरती डोल गई
और कहर की रात है क्या
सूरज हो तुम ,चँदा हो तुम
मेरी आँखों के तारे हो तुम
मेरी रातों के उजियारे हो तुम
कलाई पर दूर बैठी बहनों के नाम की पहनी हुई राखियों को ,
देवी माँ के बँधे हुए रक्षा कलावे को उतरवा कर
ओढ़ कर माँ पापा की दुआओं का आसमान ,
प्रेयसि की धड़कनों का ताज,
इष्ट-मित्रों ,अज़ीज़ों की दुआओं के साथ
जा रहे थे तुम ओ.टी. की तरफ
कड़वी दवाई पिलाई है ज़िन्दगी ने घूँट-घूँट कर के
रुलाइयाँ अटक गईं हैं हलक में
तेरी सलामती के लिए मैं दुनिया की सारी न्यामतें वार दूँ
उठो संभालो मेरी दुनिया तुमसे
जब-जब तू मुस्कराये , मेरी दुनिया खिल-खिल जाये
लम्हा-लम्हा गाये , तू ज़िन्दगी को गले लगाये
मेरे लिये इस से बढ़ कर और सहर की बात है क्या
और क़दमों में दम था ही नहीं
अपने ही जिगर के टुकड़ों को ,
जब देखते हैं हम मुश्किल में
तारे टूटें , धरती धँसती , आँखों में समँदर ठहरा सा
और कहर की रात है क्या
उठती-गिरती साँसें थीं
और ज़िन्दगी रुठी थी
एक न्यामत होती है ज़िन्दगी
टँग जाएँ हम उल्टे भी
इस दुनिया की खातिर ही , तो भी गम ही नहीं
जिसके सहारे निश्चिन्त थे हम
वो ही धरती डोल गई
और कहर की रात है क्या
सूरज हो तुम ,चँदा हो तुम
मेरी आँखों के तारे हो तुम
मेरी रातों के उजियारे हो तुम
कलाई पर दूर बैठी बहनों के नाम की पहनी हुई राखियों को ,
देवी माँ के बँधे हुए रक्षा कलावे को उतरवा कर
ओढ़ कर माँ पापा की दुआओं का आसमान ,
प्रेयसि की धड़कनों का ताज,
इष्ट-मित्रों ,अज़ीज़ों की दुआओं के साथ
जा रहे थे तुम ओ.टी. की तरफ
कड़वी दवाई पिलाई है ज़िन्दगी ने घूँट-घूँट कर के
रुलाइयाँ अटक गईं हैं हलक में
तेरी सलामती के लिए मैं दुनिया की सारी न्यामतें वार दूँ
उठो संभालो मेरी दुनिया तुमसे
जब-जब तू मुस्कराये , मेरी दुनिया खिल-खिल जाये
लम्हा-लम्हा गाये , तू ज़िन्दगी को गले लगाये
मेरे लिये इस से बढ़ कर और सहर की बात है क्या
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