होता है दूसरा खुदा तो डॉक्टर भी
जो बदल देता है बद से बदतर होते हुए हालात को भी
लिखता है खुशियाँ , गम की रात में होता है उजाले की किरण सा
पोंछता है आँसू , बाँटता है मुस्कानें
लिखता है तकदीर इक बार फिर से
आदमी जी रहा है जो साँसों का कर्ज़ है
चोट-चपेट है या फिर कोई मर्ज़ है
कौन समझेगा सीने में जो कोई दर्द है
हाँ वो मसीहा है जो करता है वो सब ,
जो आदमी के हक़ में है
हाँ वो दूसरा खुदा है
जो लिखता है तकदीरें इक बार फिर से
अपनी तदबीरों से
जो बदल देता है बद से बदतर होते हुए हालात को भी
लिखता है खुशियाँ , गम की रात में होता है उजाले की किरण सा
पोंछता है आँसू , बाँटता है मुस्कानें
लिखता है तकदीर इक बार फिर से
आदमी जी रहा है जो साँसों का कर्ज़ है
चोट-चपेट है या फिर कोई मर्ज़ है
कौन समझेगा सीने में जो कोई दर्द है
हाँ वो मसीहा है जो करता है वो सब ,
जो आदमी के हक़ में है
हाँ वो दूसरा खुदा है
जो लिखता है तकदीरें इक बार फिर से
अपनी तदबीरों से
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