सपनों वाली रात नहीं
दिन के उजाले साथ नहीं
एक ज़रा सा दिल टूटे तो
ये दुनिया अपने पास नहीं
कहने लगे अपनी बातें
रूह भटकती साथ नहीं
मेरे मन की बात ही है
क्या तेरे मन की बात नहीं
मिल बैठें जो हम तुम दोनों
ऐसे तो हालात नहीं
चलना युगों तक , है ये
लम्हे भर की बात नहीं
दिन के उजाले साथ नहीं
एक ज़रा सा दिल टूटे तो
ये दुनिया अपने पास नहीं
कहने लगे अपनी बातें
रूह भटकती साथ नहीं
मेरे मन की बात ही है
क्या तेरे मन की बात नहीं
मिल बैठें जो हम तुम दोनों
ऐसे तो हालात नहीं
चलना युगों तक , है ये
लम्हे भर की बात नहीं
मिल बैठें जो हम तुम दोनों
जवाब देंहटाएंऐसे तो हालात नहीं
चलना युगों तक , है ये
लम्हे भर की बात नहीं
....वाह! अंतस को छूती बहुत सुन्दर रचना...
कविता प्यारी लगी, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंमिल बैठें जो हम तुम दोनों
जवाब देंहटाएंऐसे तो हालात नहीं
चलना युगों तक , है ये
लम्हे भर की बात नहीं
बहुत ही बढिया ... मन को छूते भाव रचना के
सुन्दर...
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी भाव....
सादर
अनु
सादर आमंत्रण,
जवाब देंहटाएंहम हिंदी के श्रेष्ठ ब्लॉग 'हिंदी चिट्ठा संकलक' पर एकत्र कर रहे हैं,
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बहुत सुंदर
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