गली गली फिर मीरा , बावरी होई
पीड़ मीरा की , न जाने कोई
जा तन लागे , जाने सोई
इक तो दुनिया न अपनी होय
दूजे राणा जी न समझे मोय
कान्हा से प्रीत लगा बावरी होई
प्रीत के रँग में मन रँग बैठी
दूजे विरह का स्वाद चख बैठी
तड़प मीरा की साँवरी होई
धुन तो वही है बोले न मीरा
इकतारे की धुन में देखो बोले पीड़ा
पीड़ा भी बाकि चाकरी होई
गली गली फिर मीरा , बावरी होई
पीड़ मीरा की , न जाने कोई
जा तन लागे , जाने सोई
पीड़ मीरा की , न जाने कोई
जा तन लागे , जाने सोई
इक तो दुनिया न अपनी होय
दूजे राणा जी न समझे मोय
कान्हा से प्रीत लगा बावरी होई
प्रीत के रँग में मन रँग बैठी
दूजे विरह का स्वाद चख बैठी
तड़प मीरा की साँवरी होई
धुन तो वही है बोले न मीरा
इकतारे की धुन में देखो बोले पीड़ा
पीड़ा भी बाकि चाकरी होई
गली गली फिर मीरा , बावरी होई
पीड़ मीरा की , न जाने कोई
जा तन लागे , जाने सोई
beautiful composition..
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