रविवार, 5 अगस्त 2012

शक्ल किसी दोस्त की

वक्त को जब मेहरबान होना होता है
वो कर लेता है अख्तियार शक्ल किसी दोस्त की 
खिलने लगते हैं फूल , महकने लगतीं है फिज़ाएँ
बदल जाते हैं मायने ज़िन्दगी के

मुहब्बत ही तो वो शय है , जो भरती रँग ज़िन्दगी में 
मौत आती भी हो दबे पाँव तो
ये चकमा दे दे , किसी जादू या इबादत सी
 
 गद्य भी पद्य में बदल जाता है
सुर-ताल मिले न मिले , ज़िन्दगी के साज पर
आना पड़ता है रूह को , घड़ी दो घड़ी के लिए

चाँदनी रात दूर नहीं है , हम सितारों को लाये बैठे हैं
हर सूरत में ढूँढते हैं किसी दोस्त को
शम्मा दिल की जले तो ज़िन्दगी महफ़िल सी रौशन हो जाए

3 टिप्‍पणियां:

  1. चाँदनी रात दूर नहीं है , हम सितारों को लाये बैठे हैं
    हर सूरत में ढूँढते हैं किसी दोस्त को
    शम्मा दिल की जले तो ज़िन्दगी महफ़िल सी रौशन हो जाए
    Aapkee mehfil hamesha raushan rahe!

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  2. सच कहा है सच्चे दोस्त की शक्ल में खुदा ही आता है ... मित्रता दिवस की शुभकामनायें ...

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  3. मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई

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