गुरुवार, 25 नवंबर 2010

बन्द थी मुट्ठी खाली ही

लम्हा लम्हा टूटे हम
देखो हमको मात मिली
है तो कहानी सबकी एक सी
बात नहीं बे बात मिली

कलम के काँधे पर सर रख कर
थोड़ा सा आराम मिला
सखी भी मिली , चारासाज मिला
दुनिया के पत्थरों से निजात मिली

किसने कहा दामन छोटा है
भर लेता आसमान भी
हर कोई अपनी बाहों में
दिल को न औकात मिली

रेत की तरह फिसले सब
बन्द थी मुट्ठी खाली ही
वक्त हवा न कैद हुए
उम्र की कैसी बिसात मिली

शह देने आया न कोई
दूर तलक आँखों ने देखा
कलम ही लौ को तीखा करती
थोड़ी सी सौगात मिली

6 टिप्‍पणियां:

  1. किसने कहा दामन छोटा है
    भर लेता आसमान भी
    दामन नहीं आसमान छोटा है .. दामन में समा जाता है
    बहुत सुन्दर रचना

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  2. किसने कहा दामन छोटा है
    भर लेता आसमान भी
    हर कोई अपनी बाहों में
    दिल को न औकात मिली
    बहुत खूबसूरत लिखा है...
    इन पंक्तियों ने जनाब निदा फ़ाज़ली साहब का ये दोहा याद दिला दिया-
    छोटा करके देखिए जीवन का विस्तार
    आंखों भर आकाश है बाहों भर संसार

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  3. किसने कहा दामन छोटा है
    भर लेता आसमान भी

    गहन भावों की खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर
    डोरोथी.

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  4. शारदा जी,

    बहुत सुन्दर भाव हैं ...पोस्ट अच्छी लगी |

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  5. लम्हा लम्हा टूटे हम
    देखो हमको मात मिली
    है तो कहानी सबकी एक सी
    बात नहीं बे बात मिली
    Shuruaat se hee zabardast rachana!
    किसने कहा दामन छोटा है
    भर लेता आसमान भी
    Aisahee to hota hai dil...kabhi aasmaan samaa jata hai,to kabhi khashkhash dana bhi nahi!

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