नारी तुम कितनी सहिष्णु हो
ये तय होगा ,जब सहेज रखोगी रिश्तों को
सहचर जो तुम्हारे संग होंगे , दिन-रात तुम्हें आज़मायेंगे
कुछ ऐसी करनी करना तुम
जीवन की धूप सुहानी लगे
कोई मीठी मधुर कहानी लगे
परिवार ही तेरा पहला धन , जो छपा होगा तेरी सूरत पर
जननी का ओहदा मिला तुझको
इक आसमाँ तुझको मिला खुद का
पँखों में जो तू समेट सके
टूटी-बिखरी किसी मूरत का कोई भी मोल नहीं होता
कीमत कर लो तुम खुद की भी
बेशक़ीमती हो ,बेमोल बिको
कोई भी मोल चुका न सके
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