मंगलवार, 21 जुलाई 2020

माँ के लिए श्रद्धाँजलि


माँ , आप चली गईं हैं ,
मेरे ज़ेहन के चप्पे-चप्पे पर छाप आपकी है

नहीं भूलता है माँ की आँखों की पुतलियों का रँग भी
वो ममता भरी आँखों में तैरता हुआ निष्छल सा प्यार

वो पलने में झुलाती हुई माँ और नन्हीं जान का रिश्ता
उम्र भर साथ चलता है वो ठण्डी  छॉंव सा नाता

नहीं आसान होता है यादों के किसी वैक्यूम को भरना
जो वजूद का हिस्सा हो उसके बिना चलना
ये वक्त की ही फितरत है , दवा बन कर भरपाई करना

मगर माँ ,आप ही बोलती हैं मेरे मुँह से कितनी ही बातें
वो मुहावरे ,वो सहज रहने को काम में डूबने के नुस्खे
वो कर्मों को किस्मत बताती हुईं आप
वो कर्मठ ,समर्पित ,सहज और मिलनसार व्यक्तित्व
नियति के क्रूर हाथों में कभी न डोलती हुईं आप
वो जिम्मेदारियों को हँस कर गले से लगाती हुईं आप
मेरे अनुशासित , रोबीले पिता का सम्बल ,
वो आपका अदब ,उनके अदब में चार चाँद लगाती हुईं आप
मेरे बचपन की किताब के हर पन्ने पर आप
मेरी नीँव में पल-पल मुस्कराती हुईं आप 

2 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 23 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!


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  2. बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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आपके सुझावों , भर्त्सना और हौसला अफजाई का स्वागत है