राशन की दुकानों में ' ए ग्रेड ' की जगह ' बी ग्रेड ' का माल बिका
खानसामों ने अपने खाने के बहाने , अपने पूरे घर का पेट भरा
तत्काल की सुविधा भी एजेन्टस के हाथ हुई
हर जगह धाँधली ,मिलावट , मुनाफा-खोरी
हर किसी ने किया ,जिसका जितना दाँव लगा
सूद-खोरों , दलालों , कमीशन-खोरों की चाँदी हुई
मिलावटी खाना , मिलावटी बातें ,मिलावटी ज़ेहन
कहीँ से इँच भर भी तू खालिस न हुआ
दौड़ता फिरता है किसके पीछे
सोने सा जनम पा के भी मिट्टी ही किया
मध्यस्थता खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिये थी
भारत की अर्थव्यवस्था ये किसके हाथ हुई
कुकुर-मुत्तों की तरह उगे बिचौलिओं की परसेन्टेज अनलिमिटेड और बन्दर-बाँट की तरह हुई
मँहगाई कैसे न बढ़े , मँहगाई कैसे न बढ़े
खानसामों ने अपने खाने के बहाने , अपने पूरे घर का पेट भरा
तत्काल की सुविधा भी एजेन्टस के हाथ हुई
हर जगह धाँधली ,मिलावट , मुनाफा-खोरी
हर किसी ने किया ,जिसका जितना दाँव लगा
सूद-खोरों , दलालों , कमीशन-खोरों की चाँदी हुई
मिलावटी खाना , मिलावटी बातें ,मिलावटी ज़ेहन
कहीँ से इँच भर भी तू खालिस न हुआ
दौड़ता फिरता है किसके पीछे
सोने सा जनम पा के भी मिट्टी ही किया
मध्यस्थता खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिये थी
भारत की अर्थव्यवस्था ये किसके हाथ हुई
कुकुर-मुत्तों की तरह उगे बिचौलिओं की परसेन्टेज अनलिमिटेड और बन्दर-बाँट की तरह हुई
मँहगाई कैसे न बढ़े , मँहगाई कैसे न बढ़े
बहुत सार्थक रचना !
जवाब देंहटाएंगोस्वामी तुलसीदास
सच और सिर्फ सच लिखा है आपने। एक यथार्थपरक रचना।
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना...
जवाब देंहटाएंसत्य कहा
जवाब देंहटाएंहोना कुछ था, हो कुछ और गया. सार्थक रचना..
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