बुधवार, 17 अगस्त 2011

अन्ना हैं एक मशाल

अन्ना जैसे एक आन्दोलन का नाम , उन्हों ने जब एक मुहिम छेड़ी तो हजारों लोग उसमें शरीक हो गएये पीड़ा ही तो है जिसने सब को एक जुट कर दिया हैये भी सच है कि सिर्फ सरकार के कुछ लोग ही नहीं , भ्रष्टाचार आम आदमी की नस नस में भी समाया हुआ हैजिसको जहाँ मौका मिला है उसने हाथ जरुर आजमाया हैइसीलिए ये जरुरी है कि कुछ कानून कायदे देश चलाने वालों सहित सभी के लिये बनेंचाहते तो सभी यही थे मगर पहल करने वाले तो अन्ना हजारे ही हैं
पीड़ा है सबके उर में 
जिसकी है ये आवाज
अन्ना हैं एक मशाल
लेकर चले जो सबको साथ

मिटे जड़ से भ्रष्टाचार
हर खास आदमी आम
है आम आदमी ख़ास
क्यों कर हो कोई शिकार

महँगाई , बेरोजगारी
दिशाहीन है अपना समाज
लाठी है किसके हाथ
है नैतिकता क्यों नहीं ढाल

इतिहास ऋणी है उनका
औरों के लिये जो जीते
होते हैं कलमबद्ध वे ही
चलते हैं जो सीना तान

अन्ना हैं युग पुरुष
समय सीमा से परे
है दाँव पे जीवन उनका
गाँधी जी सी हैं मिसाल

4 टिप्‍पणियां:

  1. एक अन्ना सौ बीमार, देखो होता है क्या हाल

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  2. इतिहास ऋणी है उनका
    औरों के लिये जो जीते
    होते हैं कलमबद्ध वे ही
    चलते हैं जो सीना तान
    Kitna sahee kaha aapne!

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  3. भाव बहुत अच्छे हैं...बधाई शारदा जी...
    और रही मुहिम की बात...कोई जादू होने वाला है, इसकी ज़्यादा उम्मीद नहीं है.

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