इक दिन निजता ले आती है चौराहे पर
अच्छा होता बाँट जो देता , पैसा जितना ज्यादा था
चेहरों पर मुस्कान देख कर , पा लेता थोड़ी साँसें
थोड़े चूल्हे जल लेते , थोड़े अरमाँ पल लेते
हेरा-फेरी , काला बाजारी , टैक्स की चोरी , कितने दिन !
छुपा न सकेगी लीपा-पोती
आज बहाने साथ न देंगे , ज़मीर जगा कर देख ले अपना
कितना पहनेगा , कितना ओढ़ेगा
सोने का निवाला न निगल पायेगा
अति कहाँ चुप बैठती है , कुछ न कुछ तो जरूर होना था
हिला के नींव बीज कोई बोना था
देश के हित में अलख जगा ले , आहुति दे स्वार्थ की अपने
अपनी राह में फूल खिला ले
अच्छा होता बाँट जो देता , पैसा जितना ज्यादा था
चेहरों पर मुस्कान देख कर , पा लेता थोड़ी साँसें
थोड़े चूल्हे जल लेते , थोड़े अरमाँ पल लेते
हेरा-फेरी , काला बाजारी , टैक्स की चोरी , कितने दिन !
छुपा न सकेगी लीपा-पोती
आज बहाने साथ न देंगे , ज़मीर जगा कर देख ले अपना
कितना पहनेगा , कितना ओढ़ेगा
सोने का निवाला न निगल पायेगा
अति कहाँ चुप बैठती है , कुछ न कुछ तो जरूर होना था
हिला के नींव बीज कोई बोना था
देश के हित में अलख जगा ले , आहुति दे स्वार्थ की अपने
अपनी राह में फूल खिला ले
उम्दा
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