२२ जुलाई , आज पूरे दस साल हुए माँ को दुनिया छोड़ कर गए हुए , श्रद्धांजलि स्वरूप कुछ पंक्तियाँ उनके लिये ......
जिन्दगी भर बचपन बोला करता
यादों की क्यारी में माँ का चेहरा ही डोला करता
न भूले वो माँ की गोदी , आराम की वो माया सी
जीवन की धूप में घनी छाया सी
पकड़ के उँगली जो सिखाती हमको , जीवन की डगर पर चलना
हाय अद्भुत है वो खजाना , वो ममता का पलना
गीले बिस्तर पर सो जाती , और शिकायत एक नहीं
चौबीस घंटे वो पहरे पर , अपने लिये पल शेष नहीं
होता है कोई ऐसा रिश्ता भी , भला कोई भूले से
छू ले जैसे ठण्डी हवा , जीवन की तपन में हौले से
न मन भूलता है वो महक माँ के आँचल की
न वो स्वाद माँ की उँगलियों का
जीवन भर साथ चले जैसे , उजली उजली
दुआ ही दुआ , विष्वास बनी वो फ़रिश्ता सी
आठ मई मदर्ज डे पर एक कविता माँ के लिये लिखी थी , उसका लिंक है ...माँ ...इसी पेज पर नीचे ...
जिन्दगी भर बचपन बोला करता
यादों की क्यारी में माँ का चेहरा ही डोला करता
न भूले वो माँ की गोदी , आराम की वो माया सी
जीवन की धूप में घनी छाया सी
पकड़ के उँगली जो सिखाती हमको , जीवन की डगर पर चलना
हाय अद्भुत है वो खजाना , वो ममता का पलना
गीले बिस्तर पर सो जाती , और शिकायत एक नहीं
चौबीस घंटे वो पहरे पर , अपने लिये पल शेष नहीं
होता है कोई ऐसा रिश्ता भी , भला कोई भूले से
छू ले जैसे ठण्डी हवा , जीवन की तपन में हौले से
न मन भूलता है वो महक माँ के आँचल की
न वो स्वाद माँ की उँगलियों का
जीवन भर साथ चले जैसे , उजली उजली
दुआ ही दुआ , विष्वास बनी वो फ़रिश्ता सी
आठ मई मदर्ज डे पर एक कविता माँ के लिये लिखी थी , उसका लिंक है ...माँ ...इसी पेज पर नीचे ...