सोमवार, 28 अगस्त 2023

सखी-सहेलियों जैसे रिश्तों के लिये

सइयो नी , सइयो नी 

आ दुक्खाँ दे लीड़े धो लइये 

कुझ कह लइये , कुझ सुन लइये 


तेरे वेहड़े धुप्प ही धुप्प 

मेरे वेहड़े छाँ कोई ना 

कट जायेगा रा नाल-नाल चल लइये 


दिल दी हवाँडाँ कदे वण्डियाँ ना 

अक्खाँ दे ज़रिये जो उतरन 

आ रूहाँ दी कुण्डियां खोल लइये 


सइयो नी , सइयो नी 

आ दुक्खाँ दे लीड़े धो लइये 

कुझ कह लइये , कुझ सुन लइये 


आओ कभी फुर्सत में बैठें 

यादों के ताने-बाने खोलें 

दुखती रगों के तार ढीले कर लें 


हौले से छू लें दिल को जो 

उन ठण्डी हवाओं के सदके 

थोड़ा-थोड़ा आराम मिले 

कुछ ऐसे झूले में झूलें 


सहरा में पानी होता कहाँ 

इक दोस्त ही है जो मशक लिए 

थोड़ा-थोड़ा पानी बख़्शे 

राहों के हादसे तो धो लें 


आओ कभी फुर्सत में बैठें 

यादों के ताने-बाने खोलें 

दुखती रगों के तार ढीले कर लें 


सोमवार, 6 फ़रवरी 2023

हमारी पीढ़ी बहुत एक्सप्रेसिव नहीं है

 हम फ़िफ़्टीज़ ,सिक्स्टीज ,सेवेंटीज के लोग 

हमारी पीढ़ी बहुत एक्सप्रेसिव नहीं है 

हम वाओ ,मार्वलस कह कर एक्सक्लेमेशन मार्क्स वाले रिएक्शन नहीं देते 

हम तो बस हैरानियों पर चुप से , जड़ से ,मूर्तिवत खड़े हो जाते हैं 

तुम समझ सको तो समझ लो 

हमारी आँखों से टपकती हुई कृतज्ञता , प्यार और हैरानी जान सको तो जान लो 

हम तो बस तुम्हारे आस-पास रहना चाहेंगे 

जो कुछ हमें हासिल है , हाजिर कर देंगे 

हमारी सारी दुआएँ तुम्हारे इर्द-गिर्द घूमती हैं , जान सको तो जान लो 

तुम जब भी ख़फ़ा होगे , हम चुप ही नज़र आयेंगे या चुपचाप रो देंगे 

मगर हम नाराज़ नहीं होते 

क्योंकि अपने-आप से भी भला कोई ख़फ़ा होता है  ?

जान सको तो जान लो 

ज़्यादा से ज़्यादा क्या होगा , हम कोई कविता लिख देंगे 

मन तो हमारा भी गाता है ख़ुशी में , रो देता है ग़म में 

हमारी आँखों से बोलता हुआ मौन पढ़ सको तो पढ़ लो 

हमारी पीढ़ी बहुत एक्सप्रेसिव नहीं है