वे मैं तड़फाॅ वाँग शुदाइयाँ
वे आ मिल कमली देआ साइयाँ
तू घोड़ी पे चढ़ा
मैं डोली में बैठी
सपना था यही , नींद टूटी , ओझल हुआ
सात फेरों का क़र्ज़ है तुझ पर
बरसों-बरस गुजर गये तेरी राह तकते-तकते
नामलेवा नहीं मेरा कोई
ये जनम तो तेरे नाम किया
न पूछ के कैसे है कटा ये सफर
मुझे और उम्मीद थी , और हुआ
की रब ने बड़ी बेपरवाहियाँ वे
हर किसी पे आती है जवानी
किसी-किसी को मिलता है कद्र-दान
किसी किसी का इश्क चढ़ता है परवान
मैं किसी फरहाद की शीरी तो नहीं
किसी राँझे की फ़रियाद नहीं
किसी धरती का नाज़ नहीं
आ , अपने कमण्डल से पानी जरा सा त्रौक
शायद ये आँख लग जाये
वे मैं तड़फाॅ वाँग शुदाइयाँ
वे आ मिल कमली देआ साइयाँ
जिस कहानी ने इसे रचा.…पढ़ने के लिए यहाँ देखें
एक थी भिरावाँ
वे आ मिल कमली देआ साइयाँ
तू घोड़ी पे चढ़ा
मैं डोली में बैठी
सपना था यही , नींद टूटी , ओझल हुआ
सात फेरों का क़र्ज़ है तुझ पर
बरसों-बरस गुजर गये तेरी राह तकते-तकते
नामलेवा नहीं मेरा कोई
ये जनम तो तेरे नाम किया
न पूछ के कैसे है कटा ये सफर
मुझे और उम्मीद थी , और हुआ
की रब ने बड़ी बेपरवाहियाँ वे
हर किसी पे आती है जवानी
किसी-किसी को मिलता है कद्र-दान
किसी किसी का इश्क चढ़ता है परवान
मैं किसी फरहाद की शीरी तो नहीं
किसी राँझे की फ़रियाद नहीं
किसी धरती का नाज़ नहीं
आ , अपने कमण्डल से पानी जरा सा त्रौक
शायद ये आँख लग जाये
वे मैं तड़फाॅ वाँग शुदाइयाँ
वे आ मिल कमली देआ साइयाँ
जिस कहानी ने इसे रचा.…पढ़ने के लिए यहाँ देखें
एक थी भिरावाँ
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