विश्व पर्यावरण दिवस पर पौधों के लिये
मेरे पौधों ,खिलो तुम जान से प्यारों की तरह
फूलो-फलो दुनिया में , सितारों की तरह
पीने दो मुझे मीठी सी कोई चाह
थिरकने दो किसी धुन पे ,धड़कनों की तरह
आयेंगीं आँधियाँ भी , तूफ़ान उठेंगे
गले लगो मेरे ,सदियों से बिछड़ों की तरह
दर्द हर हाल में रँग छोड़ता है
बदलो इसे माज़ी के हवालों की तरह
मैं तुम्हारी सब कुछ तो नहीं बन सकती
समझो मुझे दोस्त-माली सा , सायादारों की तरह
ये कोई चुग्गा तो नहीं है डाला मैनें
तुम भी जी लो दुनिया में ,ऐतबारों की तरह
हमने जिसे माँगा है , फिज़ाएँ हैं वो
तुम बिन कहाँ महकती हैं ,वो खुशबुओं की तरह
धरती ,पर्वत ,बरखा-पानी , जानें तुम्हारी सारी मेहरबानी
तुम हो तो हम हैं , तुम्हीं हो हमारी ज़िन्दगानी की तरह
मेरे पौधों ,खिलो तुम जान से प्यारों की तरह
फूलो-फलो दुनिया में , सितारों की तरह
पीने दो मुझे मीठी सी कोई चाह
थिरकने दो किसी धुन पे ,धड़कनों की तरह
आयेंगीं आँधियाँ भी , तूफ़ान उठेंगे
गले लगो मेरे ,सदियों से बिछड़ों की तरह
दर्द हर हाल में रँग छोड़ता है
बदलो इसे माज़ी के हवालों की तरह
मैं तुम्हारी सब कुछ तो नहीं बन सकती
समझो मुझे दोस्त-माली सा , सायादारों की तरह
ये कोई चुग्गा तो नहीं है डाला मैनें
तुम भी जी लो दुनिया में ,ऐतबारों की तरह
हमने जिसे माँगा है , फिज़ाएँ हैं वो
तुम बिन कहाँ महकती हैं ,वो खुशबुओं की तरह
धरती ,पर्वत ,बरखा-पानी , जानें तुम्हारी सारी मेहरबानी
तुम हो तो हम हैं , तुम्हीं हो हमारी ज़िन्दगानी की तरह
बहुत ख़ूब, पर्यावरण दिवस पर सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद ,हिमकर जी।
जवाब देंहटाएंबेशक, और यही बात हर इंसान को समझनी चाहिए।
जवाब देंहटाएं............
लज़ीज़ खाना: जी ललचाए, रहा न जाए!!