बुधवार, 22 सितंबर 2021

पितृपक्ष

क्या कहें ,

वो अपने बड़े प्यारे थे , जो आज दीवार पर हैं फोटो फ़्रेमस में जड़े हुए 

हम जी रहे हैं उन्हीं गलियों के उजाले लिए हुए 


वो दे गए हमें मन भरहम अर्पण कर रहे कण भर  

गाय , कौआ ,कुत्ता , चींटी , जीम लें स्वीकारते हुए 


उनकी फुलवारी के फूल हैं , जहाँ तक नज़र जाती है 

उनकी दुआओं ने बुने थे आसमानहम उसी छत के नीचे हैं खड़े हुए 


श्राद्ध के दिन आते हैं वो भाव से पृथ्वी पर 

श्रद्धा के सुमन अर्पित हैं , ग्रहण कर लें वो आशीष देते हुए 

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 23 सितंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  2. वाह,पूर्वजों, अपनों के लिए अति सुंदर भाव ।

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  3. श्रद्वा से याद करने और उनका आशीर्वाद लेने के दिन है श्राद्ध
    बहुत अच्छी सामयिक रचना

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