नियति कहती है कि कहाँ जायेगा मुझसे बच कर
मैं तेरे पाँव की जँजीर नहीं हूँ ,
मुझसे गुफ्तगू कर ले
कुछ मुझसे भी मुहब्बत कर ले
हर दिन मैं तेरा आज हूँ
तेरे भविष्य की नींव
तूने खोले ही कहाँ अपार संभावनाओं के पन्ने
कल जो दफ़न हुआ अतीत के पन्नों में
सीने से निकल करेगा कितनी ही बातें
इसलिए आज को हँस कर गले से लगा
मैं तेरी मुस्कानों में जी जाती हूँ
तूफानों से हँस कर गुजर जाती हूँ
मैं गया वक़्त तो हूँ मगर लौट के भी सज सकता हूँ
तू कभी बहना समय के सँग-सँग
कभी हवा के रुख से उल्टा चलना
मैं ले आऊँगी किनारे पर ,भरोसा रखना
मै नियति हूँ ,कोई गैर नहीं ,दोस्त हूँ तेरी
मैं ही ले आती हूँ
उन सब चेहरों को तेरे आस-पास
जिनके साथ तेरे कर्म हैं बँधे
तू भी लिख कुछ ऐसी दास्तान
के मुझे नाज़ हो तुझ पर
कुछ मुझसे भी मुहब्बत कर ले
सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंAabhaar
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