आओ हम इक दीप जलाएँ
अँधियारे को दूर भगाएँ
नया साल है , नई बात हो
एक नई उम्मीद जगाएँ
मन मैले को खूब बुहारें
दम भर को फिर हम सुस्ताएँ
खिली धूप हो हर चेहरे पर
ऐसा कुछ हम भी कर जाएँ
आज जो हमने बोया है ,कल काटेंगे
दूर की कौड़ी हम भी ले आएँ
कतार दियों की ऐसी हो रौशन
मन और प्राण से हम मुस्काएँ
बुझ न जाये कहीं कोई दिल
उसको भी हम गले लगाएँ
खिड़-खिड़ हँसती रात दिवाली
जीवन में हम ऐसी पाएँ
दूर खड़ा मुस्काता सूरज
कोई किरण तो हम भी चुराएँ
दम कदमों में भर दे जो
ऐसी कोई अलख जगाएँ
गुम हैं हम तो खुद में देखो
दायरा अपना कुछ तो बढ़ाएँ
नाम किसी सफ़्हे पर आये
ऐसा कुछ हम भी कर जाएँ
अँधियारे को दूर भगाएँ
नया साल है , नई बात हो
एक नई उम्मीद जगाएँ
मन मैले को खूब बुहारें
दम भर को फिर हम सुस्ताएँ
खिली धूप हो हर चेहरे पर
ऐसा कुछ हम भी कर जाएँ
आज जो हमने बोया है ,कल काटेंगे
दूर की कौड़ी हम भी ले आएँ
कतार दियों की ऐसी हो रौशन
मन और प्राण से हम मुस्काएँ
बुझ न जाये कहीं कोई दिल
उसको भी हम गले लगाएँ
खिड़-खिड़ हँसती रात दिवाली
जीवन में हम ऐसी पाएँ
दूर खड़ा मुस्काता सूरज
कोई किरण तो हम भी चुराएँ
दम कदमों में भर दे जो
ऐसी कोई अलख जगाएँ
गुम हैं हम तो खुद में देखो
दायरा अपना कुछ तो बढ़ाएँ
नाम किसी सफ़्हे पर आये
ऐसा कुछ हम भी कर जाएँ
बहुत सुंदर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : फिर कोई कहानी
सुंदर अर्थपूर्ण रचना
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