अभी कल तो थे तुम ,
इसी झील में नाव खेते हुये
दिल ने क़ैद किया वही अक्स
वही शहर है , वही घर है
मगर तुम आस-पास नहीं हो
तुम थे तो ,
घर की सब दीवारें चहकतीं थीं
घर में सब सामान है ,
मगर रौनक नहीं है
मेरी बुलबुलें बाहर गईं हैं
सुनो , ऐ नये ज़माने की नई फसलों
ये घरौंदों का सफर भी तो है ,
दुनिया को चलाये हुये
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