खता बस एक ही की
तुझे अपना माना
तेरे घर को अपना घर जाना
दिल के हाथों हैं मजबूर
तेरे बगैर न ज़िन्दगी ही बचती है
न ज़िन्दगी के मायने ही
अपनी दुनिया बड़ी नहीं है
दिल अपना तो बहुत बड़ा है
छोटी-छोटी बातों पे अड़ा है
चलने को कदम भी बहानें माँगें
कितने बरस सजाये मैंने
उम्मीद के दिये जलाये मैंने
एक खता पर ज़िन्दगी वारी
उम्र का इक-इक लम्हा वारा
धुआँ-धुआँ हैं राहें मेरी
तुझको मुबारक दुनिया सारी
लब सी लेंगे ,घुट जाएँगे
बेगाने घर न जी पायेँगे
न जी पायेँगे
खता बस एक ही की
bahut sundar
जवाब देंहटाएंहर रंग को आपने बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्तुति ।
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