पावन सा ये जो रिश्ता है
भाई-बहन के प्यार का
प्रतीक है भाई-दूज तो
उसी के उपहार का
द्वितिया तिथि कार्तिक मास की
उजला सा दिन है इस त्यौहार का
डोर है मजबूत सी
आ गया दिन इज़हार का
बहना के मन में खिल उठा
भाई का मुखड़ा, शीतल बयार सा
आ गया जड़ों से लिपटा
वही मौसम बहार का
भाई-बहन के प्यार का
प्रतीक है भाई-दूज तो
उसी के उपहार का
द्वितिया तिथि कार्तिक मास की
उजला सा दिन है इस त्यौहार का
डोर है मजबूत सी
आ गया दिन इज़हार का
बहना के मन में खिल उठा
भाई का मुखड़ा, शीतल बयार सा
आ गया जड़ों से लिपटा
वही मौसम बहार का
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