रविवार, 20 फ़रवरी 2011

बिना शिकन डाले

वो दस बार तेरी चद्दर को बिगाड़ें
और तू माथे पे बिना शिकन डाले उसे सँवारे
जो इतना सब्र है तो आगे बढ़
कोई खुदा है तुझे संभाले हुए

कहाँ मुश्किल है कविता करना
मुश्किल है तो बस उसे जीना
कोई डोर है जो आड़े वक्त में भी
टूटने से है उसे बचाए हुए

इम्तिहान तो है तालीम का हिस्सा
और मौका क़ाबलियत दिखाने का
ठुकते पिटते बर्तन को कोई
ठह्कने से है बचाए हुए

देता है खुदा भी थपकियाँ
चाहिए बस पढ़ने को नजर
हिसाब क्यों कर देगा वो
छाया की तरह है जो संभाले हुए

16 टिप्‍पणियां:

  1. वो दस बार तेरी चद्दर को बिगाड़ें
    और तू माथे पे बिना शिकन डाले उसे सँवारे
    जो इतना सब्र है तो आगे बढ़
    कोई खुदा है तुझे संभाले हुए...

    बहुत ही उम्दा एहसास लिए हुए बेहतरीन कविता ,शारदा जी ।

    .

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  2. .

    Indeed very appealing creation ! I liked it genuinely.

    Wonderful presentation !

    .

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  3. इम्तिहान तो है तालीम का हिस्सा
    और मौका क़ाबलियत दिखाने का
    ठुकते पिटते बर्तन को कोई
    ठह्कने से है बचाए हुए

    खुदा पर भरोसा दिलाती अच्छी रचना

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  4. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (21-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  5. वो दस बार तेरी चद्दर को बिगाड़ें
    और तू माथे पे बिना शिकन डाले उसे सँवारे
    जो इतना सब्र है तो आगे बढ़
    कोई खुदा है तुझे संभाले हुए
    अहसास को खुबसूरत अल्फ़ाज देना तारीफ़ के क़ाबिल है |शुभकामनायें ....

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  6. इम्तिहान तो है तालीम का हिस्सा
    और मौका क़ाबलियत दिखाने का
    ठुकते पिटते बर्तन को कोई
    ठह्कने से है बचाए हुए
    वाह जी, आत्म विशवास दिलाती आप की यह सुंदर रचना, धन्यवाद

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  7. कोमल भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति।

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  8. वो दस बार तेरी चद्दर को बिगाड़ें
    और तू माथे पे बिना शिकन डाले उसे सँवारे
    जो इतना सब्र है तो आगे बढ़
    कोई खुदा है तुझे संभाले हुए
    Wah!Kya gazab alfaaz hain!Waise to sampoorn rachana aprateem hai!

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  9. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22- 02- 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  10. हिसाब क्यों कर देगा वो जो है छाया की तरह संभाले हुए ..
    उस अदृश्य शक्ति का अपने आस पास अहसास जीवन की तमाम मुश्किलों में हौसला बनाये रखता है !

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  11. बहुत ही खुबसुरत प्रस्तुति......

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  12. देता है खुदा भी थपकियाँ
    चाहिए बस पढ़ने को नजर
    हिसाब क्यों कर देगा वो
    छाया की तरह है जो संभाले हुए

    BAHUT SUNDAR ABHIVYAKTI.
    SALAAM.

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  13. देता है खुदा भी थपकियाँ
    चाहिए बस पढ़ने को नजर
    हिसाब क्यों कर देगा वो
    छाया की तरह है जो संभाले हुए

    बहुत ख़ूबसूरत रचना..

    जवाब देंहटाएं

आपके सुझावों , भर्त्सना और हौसला अफजाई का स्वागत है