मंगलवार, 7 अक्तूबर 2008

ख्वाब

ख्वाब जिनके हसीन होते हैं
जिंदगी के करीब होते हैं

उंगली पकड़ चलना सिखाते हैं अरमान
हकीकत की जमीन पर ही खड़े होते हैं

रेशमी धागों से जकड़ी बेड़ियों संग
ख्वाब ही के तो पंख लगे होते हैं

बिन ख्वाब के सूनी जिन्दगी
जैसे मरघट पे खड़े होते हैं

रोशनी से नहाये हुए थके कदम भी
पंख उगते ही ,उडे होते हैं

रोशनी है ख्वाब ही के दम पे
सुनहरी आखर की ताब होते हैं





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