शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

पकड़ें उजाले



दिल टूटे तो कौन संभाले

पीता क्यूँ है विष के प्याले 

इस दुनिया में कौन सखा है 

किस उम्मीद के चुग्गे डाले 


सहरा में जलता है कोई 

किसने देखे पाँव के छाले 

धुलते कहाँ राहों के हादसे 

सीने में उगे जो जँगल-झाले 


छेड़ो कोई ऐसी धुन 

पाँव थिरकते मनुवा गा ले 

अम्बर से बरसें किरणें 

लपक-लपक हम पकड़ें उजाले 

5 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०३-0७-२०२१) को
    'सघन तिमिर में' (चर्चा अंक- ४११४)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. छेड़ो कोई ऐसी धुन

    पाँव थिरकते मनुवा गा ले

    अम्बर से बरसें किरणें

    लपक-लपक हम पकड़ें उजाले

    बहुत सुंदर भाव ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सहरा में जलता है कोई

    किसने देखे पाँव के छाले

    धुलते कहाँ राहों के हादसे

    सीने में उगे जो जँगल-झाले
    वाह!!
    अति उत्तम।

    जवाब देंहटाएं

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