Down the memory lane
यादों के गलियारे से
कुछ अल्हड़पन है , कुछ नादानियाँ
उम्र की हैं कुछ खामियाँ
ख़्वाब भी थे ,सुरख़ाब भी थे
पलकों पे रखे मेहताब भी थे
और झिलमिलाते सितारे साथ भी थे
ज़मीनी हकीकत माँगती कुर्बानियाँ
कुछ चेहरे भी हैं ,
ठण्डी हवाएँ भी हैं तो गर्म सदाएँ भी हैं
और हुलसाये हुए भी हैं
नहीं बदला है कोई , ये अजब-गजब कहानियाँ
गढ़ा भी उसी ने ,रचा भी उसी ने
दुनिया का नक्शा दिखाया उसी ने
अतीत ही बोला सारी उम्र
बचपन ही करता रहा कानों में मेरे सरगोशियाँ
चहकती भी हैं ,टहलती भी हैं
आँखों में छोड़ती हैं छाप
पग-पग पे छोड़ती हैं साख
यादों की सारी निशानियाँ
सुन्दर सृजन
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