थोड़े लम्हे चुरा लें
थोड़ी बात बना लें
जीवन की आपा-धापी से
फुर्सत का कोई सामान जुटा लें
पेड़ों के झुरमुट से झाँकता हुआ ,
तारों भरा आसमाँ
मद्धिम सी रौशनी में ,समुद्र किनारे चंचल सी लहरों की अठखेलियाँ
तुम ही तो लाये हो ये मुकाम
यूँ ही चलते-चलते लिखा है दिल ने कुछ तुम्हारे नाम
उँगली पकड़ो साथ चलो तुम , भूलो न सुबह का पैगाम
जमीन होती है तो आसमान होता है , खिले होते हैं रँग भी तमाम
अपनी अँखियों से बाँट रहे हो उजियारा
खिल उठे हैं फूल ही फूल तमाम
कुछ यादगार लम्हे , राहत का सामान जुटा लें
थोड़ी बात बना लें
जीवन की आपा-धापी से
फुर्सत का कोई सामान जुटा लें
पेड़ों के झुरमुट से झाँकता हुआ ,
तारों भरा आसमाँ
मद्धिम सी रौशनी में ,समुद्र किनारे चंचल सी लहरों की अठखेलियाँ
तुम ही तो लाये हो ये मुकाम
यूँ ही चलते-चलते लिखा है दिल ने कुछ तुम्हारे नाम
उँगली पकड़ो साथ चलो तुम , भूलो न सुबह का पैगाम
जमीन होती है तो आसमान होता है , खिले होते हैं रँग भी तमाम
अपनी अँखियों से बाँट रहे हो उजियारा
खिल उठे हैं फूल ही फूल तमाम
कुछ यादगार लम्हे , राहत का सामान जुटा लें
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