ज्यादातर लोग किसी से मिलते ही उसकी हैसियत कैलकुलेट करने लगते हैं
यानि इज्जत का पोस्ट-मार्टम करने लगते हैं
ये हैसियत कई मायनों में बयाँ होती है
मान-सम्मान ,पैसा ,रौब , दादागिरी ...
कौन कितने पानी में है ?
हिकारत लायक छोटा या फिर चापलूसी लायक बड़ा
दोस्त बनाने लायक या दूरी रख कर चलने लायक
अजब सी बात है
आदमी आदमी नहीं ,पैसे का गुलाम है शायद
अहम का फन सर उठा ही लेता है
कहते हैं जरुरत के वक्त मदद-गार ही सच्चा मित्र होता है
जरुरत के वक्त मित्रता की कलई खुल जाती है
ये जो दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों है ?
इसी दुनिया में मगर रहना है
हर कोई ढूँढता है इक अदद दोस्त , जो वो खुद कभी किसी का बन न सका
उठता है धुआं जो किसी के दिल से , क्यूँ तेरे दिल से गुजर न सका ...?
यानि इज्जत का पोस्ट-मार्टम करने लगते हैं
ये हैसियत कई मायनों में बयाँ होती है
मान-सम्मान ,पैसा ,रौब , दादागिरी ...
कौन कितने पानी में है ?
हिकारत लायक छोटा या फिर चापलूसी लायक बड़ा
दोस्त बनाने लायक या दूरी रख कर चलने लायक
अजब सी बात है
आदमी आदमी नहीं ,पैसे का गुलाम है शायद
अहम का फन सर उठा ही लेता है
कहते हैं जरुरत के वक्त मदद-गार ही सच्चा मित्र होता है
जरुरत के वक्त मित्रता की कलई खुल जाती है
ये जो दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों है ?
इसी दुनिया में मगर रहना है
हर कोई ढूँढता है इक अदद दोस्त , जो वो खुद कभी किसी का बन न सका
उठता है धुआं जो किसी के दिल से , क्यूँ तेरे दिल से गुजर न सका ...?
नमस्कार आपकी यह रचना वृहस्पतिवार (17-10-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंijjat ka postmartam :)
जवाब देंहटाएंsundar......