रविवार, 1 फ़रवरी 2009

हर कोई मालामाल है


कभी लगता बड़ा काम है , जी का जंजाल है


वक़्त नहीं मिलता और सोचों का मायाजाल है


खुदाया , क्या नजर का कुसूर है


चारों तरफ़ शेरों-गज़लों का राज है


कलम दवात उठाने की देर है , उतर आते हैं ये जिन्दगी में


क्या होता जिन्दगी में , गर करने को कुछ होता


क्या जीना होता वाजिब , गर लुटाने को कुछ होता


जिन्दगी तेरा सदका उतारने को जी चाहता है


हर कोई मालामाल है , बस नज़र का कुसूर है

9 टिप्‍पणियां:

  1. कभी लगता बड़ा काम है , जी का जंजाल है
    वक़्त नहीं मिलता और सोचों का मायाजाल है


    महेंद्र मिश्र "निरंतर"
    जबलपुर

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  2. इसी का नाम है जिन्दगी..बढ़िया!!

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  3. इसी को ज़िन्दगी कहतें है शायद ... ढेरो बधाई आपको..


    अर्श

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