सोमवार, 15 फ़रवरी 2021

स्मृतियाँ शेष हैं


वही सड़कें हैं ,वही शहर है 
मगर बस आप नहीं हैं 
चीजों की मियाद होती है 
बस आदमी की नहीं है 

कोई ऐसे भी जाता है क्यूँ दुनिया से 
न जी भर के की बातें ,न कस कर के कोई झप्पी 
न अलविदा ही कहा 
मेरी यादों की दुनिया सूनी हो गई 
जो इक युग था मेरे सीने में ,वो कहानी हो गया 

मेरे दुख से आप दुखी ,आपके दुख से मैं उदास 
जिन्हें देखते ही उमड़ उठती हों मीठी सी सदाएँ ,
और छँट जाते हों गम के बादल 
कहाँ मिलते हैं ऐसे चारासाज 

आपको खो कर अपने शहर लौटी हूँ मगर मेरी ठण्डी हवाएँ नहीं हैं 
वही शहर है 
आपको खो कर बहुत कुछ खो दिया है मैनें 
मगर वो अहसास तो रहेंगे ताउम्र मेरे साथ  

2 टिप्‍पणियां:

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